भीतर अटूट ध्यान, बाहर परम खेल || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2018)

2019-11-26 1

वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग, फ्री हर्ट्स कैंप
१६ अप्रैल, २०१८
ऋषिकेश

दोहा:
कबीर चतुराई अति घनी, हरी जपै हिरदय माही,
सूरी ऊपर खेलना, गिरे तो ठाहर नाहीं। (संत कबीर साहब )

प्रसंग:
संत कबीर अति चतुर बनने को क्यों बोल रहे है?
क्या संत कबीर दुनियादारी के चतुराई की बात कर रहे है?
"सूरी ऊपर खेलना, गिरे तो ठाहर नाहीं।" इस दोहे का क्या आशय है?
"भीतर अटूट ध्यान, बाहर परम खेल"?

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